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Tuesday, November 26, 2013

insaan ki keemat


एक मनुष्य की कीमत मालूम करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि वह तो अनमोल है।
इंसान की कीमत
       
अपने पिता के साथ दुकान में काम कर रहे एक बच्चे ने अपने पिता से  पुछा – “पिताजी इस दुनिया में मनुष्य की क्या कीमत है ?”


पिताजी अपने छोटे से बच्चे के मुंह ऐसा गंभीर सवाल सुनकर हैरान रह गये।
फिर वे बोले बेटे एक मनुष्य की कीमत मालूम करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि वह तो अनमोल है।
बच्चा क्या हर मनुष्य उतना ही कीमती और खास हैं ?
पिताजी हां बेटे।
बच्चा को कुछ समझ नही आया इसलिए उसने फिर सवाल किया तो फिर इस दुनिया मे कोई गरीब तो कोई अमीर क्यो है?
किसी को कम इज्जत मिलती है तो किसी की ज्यादा क्यो?
अपने बच्चे के इस सवाल को सुनकर पिताजी कुछ देर तक शांत रहे और फिर बच्चे से दूसरे कमरे में पड़ी एक लोहे की रॉड लाने के लिए कहा।
रॉड को हाथ में लेकर पिताजी ने पूछा इसकी क्या कीमत होगी?
बच्चा 100 रूपये।
पिताजीअगर मै इसकी बहुत छोटी-छोटी कील बना दूं तो इसकी क्या कीमत हो जायेगी?
बच्चा कुछ देर सोचकर बोलातब तो ये और महंगा बिकेगा लगभग 500 रूपये का।
पिताजी अगर मै इस रॉड से घड़ी के बहुत सारे स्प्रिंग बना दूँ तो?
बच्चा कुछ देर तक हिसाब लगाता रहा और फिर एकदम से उत्साहित होकर बोला तब तो इसकी कीमत बहुत ज्यादा हो जायेगी.
पिताजी ने उसे समझाते हुए बोले – “ठीक इसी तरह मनुष्य की कीमत इसमे नही है की अभी वो क्या है, बल्कि इसमे है कि वह अपने आपको क्या बना सकता है.
बच्चा अब तक अपने पिता की बात समझ चुका था।


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