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Thursday, May 15, 2014

Tribute to kejriwal


                                केजरीवाल जी को समर्पित
सुबह-सुबह मैंने सपना देखा कि लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो गए हैं। आम आदमी पार्टी को अप्रत्याशित रूप से संसद की 543 में से 450 सीटें हासिल हुई हैं। केजरीवाल ने मोदी को, विश्वास ने राहुल को और आशुतोष ने सिब्बल को न सिर्फ हराया, बल्कि जमानतें भी जब्त करा दी हैं।
हर तरफ क्रान्ति का माहौल है। सड़कों पर हाथ में झाड़ू लिए जनसैलाब उमड आया है। आनंद के अतिरेक में सभी विजयी सांसद अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। विरोधी दलों के हर्षित लोग आकाश मार्ग से उनपर स्याही, सड़े हुए अंडों और टमाटरों की वृष्टि कर रहे हैं।
इस उल्लासमय वातावरण में पार्टी के आग्रह पर राष्ट्रपति भवन की जगह बनारस के मणिकर्णिका घाट पर प्रधानमंत्री पद के शपथ-ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। घाट पर उस समय विचित्र दृश्य उपस्थित हो गया जब वहां एकत्र करोड़ों लोगों के आग्रह और राष्ट्रपति प्रणव दा के हाथ-पैर जोड़ने के बावजूद आम आदमी पार्टी संसदीय दल के नेता अरविन्द केजरीवाल ने ऐन मौके पर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से साफ़ इनकार कर दिया।
उन्होंने घाट पर जमा लोगों को संबोधित करते हुए कहा - दोस्तों, मैं बहुत मामूली आदमी हूं। मेरी कोई औकात नहीं है। मैं राजनीति में सांसद या प्रधानमंत्री बनने नहीं आया हूं। मुझे पता है कि प्रधानमंत्री बनकर मैं देश तो क्या, अपनी गाडी और क्वार्टर भी बदल नहीं पाऊंगा। हमारे देश और दुनिया की तमाम समस्याओं की जड़ यहां नहीं, अमेरिका में है। अमेरिका को अगर ठीक कर दिया जाय तो देश-दुनिया की सारी समस्याओं का हल निकल आएगा। तो मित्रों, मैंने सोच लिया है कि अब मुझे भारत का प्रधानमंत्री नहीं, अमेरिका का राष्ट्रपति बनना है। इस उद्धेश्य के लिए मेरा मफलर उतरे या मेरी जान चली जाय - मैं देश के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार हूं। भारत माता की जय .. इन्क़लाब जिन्दाबाद !'
इतना कहकर केजरीवाल अपने समर्थकों को रोता-कलपता छोड़ हाथ में 'मुझे अमेरिका का राष्ट्रपति बनाओ' की तख्ती लिए अमेरिकी दूतावास के सामने जाकर धरने पर बैठ गए।


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