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Thursday, March 20, 2014

Real fact of garbh nirodhak

मित्रो कई विदेशी कंपनियाँ हमारे देश की माताओ ,बहनो को गर्भ निरोधक उपाय बेचती हैं !(Contraceptive) 

इनमें से कुछ गोलियों (pills) के रूप मे बेची जाती हैं  और इसके अलावा इनके अलग अलग नाम हैं।
जैसे norplant,depo provera, I pill है एक E pill है ! ऐसे करके कुछ और अलग अलग नामो से हमारे देश की माताओ ,बहनो को ये Contraceptive बेचे जाते है और आपको ये जानकर बहुत दुख होगा जिन देशो की ये कंपनियाँ है ! ये सब वो अपने देश की माताओं बहनो को नहीं बेचती है ! लेकिन भारत मे लाकर बेच रही हैं ! जैसे ये depo provera नाम की तकनीक इन्होने विकसित की है गर्भ निरोधन के लिए !! ये अमेरिका की एक कंपनी ने विकसित किया है कंपनी का नाम है आबजोन ! इस कंपनी को अमेरिका सरकार ने ban किया हुआ है अर्थात इस पिल्स को अमेरिका मे नहीं बेचा जा सकता है ! इसलिए इस कंपनी वाले इसका उत्पादन कर भारत ले आए और भारत सरकार से इन्होने agreement कर लिया और अब ये धड़ल्ले से भारत मे इसे बेच रहे हैं ! ये injection के रूप मे भारत की माताओ-बहनो को दिया जा रहा है और भारत के बड़े बड़े अस्पतालो के डाक्टर इस injection को माताओं बहनो को लगवा रहें है ! परिणाम क्या हो रहा है ! ये माताओ ,बहनो का जो महावारी का चक्र है इसको पूरा बिगाड़ देता है और उनके अंत उनके uterus मे cancer कर देता है ! अंत में इसका प्रयोग करने वाली माताओ-बहनो की मौत हो जाती है ! कई बार उन माताओं ,बहनो को पता ही नहीं चलता की वो किसी डाक्टर के पास गए थे और डाक्टर ने उनको बताया नहीं और depo provera का injection लगा दिया ! जिससे उनको cancer हो गया और उनकी मौत हो गई !! पता नहीं लाखो माताओ-बहनो को ये लगा दिया गया और उनकी ये हालत हो गई ! इसी तरह इन्होने एक NET EN नाम की गर्भ निरोधन के लिए तकनीकी लायी है ! steroids के रूप मे ये माताओ-बहनो को दे दिया जाता है या कभी injection के रूप मे भी दिया जाता है ! इससे उनको गर्भपात हो जाता है  और उनके जो पियूष ग्रंथी के हार्मोन्स है उनमे असंतुलन आ जाता है  और वो बहुत परेशान होती है जिनको ये NET EN दिया जाता है ! इसकी तरह से RU 496 नाम की एक तकनीक उन्होने ने आई है फिर रूसल नाम की एक है ! फिर एक यू क ले फ नाम की एक है फिर एक norplant है ! फिर एक प्रजनन टीका उन्होने बनाया है सभी हमारी माताओ ,बहनो के लिए तकलीफ का कारण बनती है फिर उनमे ये बहुत बड़ी तकलीफ ये आती है ये जितने भी तरह गर्भ निरोधक उपाय माताओ बहनो को दिये जाते हैं ! उससे uterus की मांस पेशिया एक दम ढीली पड़ जाती है ! और अक्सर मासिक चक्र के दौरान कई मताए बहने बिहोश हो जाती है ! लेकिन उनको ये मालूम नहीं होता कि उनको ये contraceptive दिया गया जिसके कारण से ये हुआ है ! और इस तरह हजारो करोड़ रुपए की लूट हर साल विदेशी कंपनियो द्वारा ये contraceptive बेच कर की जाती हैं !__________________________________

इसके अलावा अभी 3 -4 साल मे कंडोम का व्यपार विदेशी कंपनियो द्वारा बहुत बढ़ गया है !! और इसका प्रचार होना चाहिए इसके लिए AIDS का बहाना है !AIDS का बहाना लेकर TV , अखबारो, मैगजीनो मे एक ही बात क विज्ञापन कर रहे है कि आप कुछ भी करो कंडोम का इस्तेमाल करो !
ये नहीं बताते कि आप अपने ऊपर सयम रखो ! ये नहीं बताते कि अपने पति और पत्नी के साथ वफादारी निभाओ !! वो बताते है कुछ भी करो अर्थात किसी की भी माँ , बहन बेटी के साथ करो ,बस कंडोम का इस्तेमाल करो !! और इसका परिणाम क्या हुआ है मात्र 15 साल मे इस देश मे 100 करोड़ कंडोम हर साल बिकने लगे हैं ! 15 साल पहले इनकी संख्या हजारो मे भी नहीं थी !
और इन कंपनियो का target ये है कि ये 100 करोड़ कंडोम एक साल नहीं एक दिन मे बिकने चाहिए !!
एड्स का हल्ला मचा कर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों (साथ ही साथ देशी कम्पनियों ने भी) कण्डोम का बाजार खड़ा किया है और कई सौ करोड़ रूपये का सालाना मुनाफा पीट रही हैं। हालांकि एड्स खतरनाक बीमारी है और यौन संसर्ग के अलावा कई अन्य तरीकों से भी इसका प्रसार होता हे। जैसे इन्जेक्शन की सुई द्वारा, रक्त लेने से एवं पसीने के सम्पर्क द्वारा। परन्तु बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की शह पर एड्स को रोकने के जिन तरीकों को ज्यादा प्रचारित किया जा रहा है उनमें हैं सुरक्षित सम्भोग और कण्डोम का प्रयोग। डाक्टर लार्ड ओ कलिंग्स के अनुसार एक बार के यौन सम्पर्क से 0.1-1 प्रतिशत ! सुई से 0.5-1 प्रतिशत, ! रक्त चढाए जाने से 0.9 प्रतिशत एड्स होने की सम्भावना रहती है। इस तरह संक्रमित व्यक्ति के साथ सम्भोग या सुई के इस्तेमाल और रक्त चढाने से एड्स होने की बराबर सम्भावनाएं रहती हैं। देश में यौन सम्बन्धों के लायक सिर्फ 30 % लोग ही हैं, जो अधिकतर अपने जीवन साथी के अलावा किसी अन्य से यौन सम्पर्क नहीं बनाते। दूसरी तरफ बच्चे से लेकर बूढे तक इन्जेक्शन की सुई का प्रयोग करते हैं अतः इस रास्ते एड्स फैलने की सम्भावनाएं बहुत अधिक हैं। इसके अलावा रक्तदान द्वारा इस बीमारी का होना लगभग तय है। और अभी भी हमारे देश में 50 प्रतिशत मामलों में रक्त बिना जांच के ही चढा दिये जाते हैं। भारत में विशेष स्थितियोें में उपर्युक्त दोनों तरीकों से एड्स प्रसार की ज्यादा सम्भावनाओं को नजर अंदाज कर यौन सम्पर्को को ही मुख्य जिम्मेदार मानना पश्चिम का प्रभाव और कण्डोम निर्माता कम्पनियों की पहुंच का ही परिणाम है। विलासी उपभोक्तावादी संस्कृति के इस दौर में कण्डोम संस्कृति और उस का प्रचार विवाहोतर यौन सम्बन्धों को बढ़ाकर इस बीमारी की जड को हरा ही बनायेंगे।
हमारे देश में लगभग 40 करोड़ रूपये का कण्डोम देशी कम्पनियाँ और इतना ही कण्डोम विदेशी कम्पनियाँ बेच रही हैं। विदेशी कण्डोमों के बारे में यह बात खास तौर से उल्लेखनीय है कि 1982 से ही सरकार ने इनके आयात पर से सीमा शुल्क समाप्त कर दिया था और उस फैसले के बाद ही देश का बाजार विदेशीकण्डोमों से भर गया। करीब 25-30 एजेन्सियाँ जापान, कोरिया, ताइवान, हांगकांग, थाइलैण्ड वगैरा से कण्डोम थोक के भाव मंगाती और बेचती हैं। करीब 20 देशी व 80 विदेशी ब्रांडो अर्थात 100 से ज्यादा ब्रांडो में 100 करोड़ से ज्यादा कण्डोम सालाना बिक रहे हैं।
मुक्त यौनकी संस्कृति और उसे कण्डोम द्वारा सुरक्षा कवच पहना कर प्रचारित करने से युवाओं की उर्जा का प्रवाह किस दिशा में मोड दिया गया है यह अलग से एक बहुत ही गम्भीर सवाल है।
अंत सरकार और ये विदेशी कंपनिया AIDS रोकने से ज्यादा कंडोम की बिक्री बढ़ाना चाहती है ! इसके लिए देश के युवाओ को बहलाया-फुसलाया जा रहा है ! ताकि विवाह से पहले ही किसी भी लड़की के साथ संब्ध स्थापित करे  और एक पत्नी से अधिक औरतों से संबंध बनाए जिससे समाज और परिवार खत्म हो जाये !
ताकि देश की सनातन संस्कृति को खत्म कर देश को जल्दी ही अमेरिका की कुत्ता संस्कृति मे मिलाया जाये ! कुत्ता संस्कृति से अभिप्राय सुबह किसी के साथ,दोपहर किसी के साथ, अगले दिन किसी के साथ !!

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