क्या आप जानते हैं कि हमारे देश
में प्रतिदिन होने वाले बलात्कारों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। एक बलात्कार पीड़ित लड़की शारीरिक रूप से नहीं बल्कि मानसिक रूप से पूरी तरह टूट
जाती है। बलात्कार होने के बाद न तो वह आम लड़कियों की तरह जी सकती है और न ही
शादी करके सुखी जीवन व्यतीत कर सकती है। हर समय बलात्कार की वह दर्दनाक घटना उसके
दिमाग में घूमती रहती है। और बलात्कार करने वाला उसका क्या, उसे तो कुछ समय की सजा
मिलती है जिसमें भी वह जमानत पर छूट जाता है और अपना घर बसा लेता है। उसे समाज में
रहने का अधिकार भी मिल जाता है। लेकिन बलात्कार पीड़ित लड़की को तो समाज भी
स्वीकार नहीं करता। आते जाते रास्ते में हर कोई उसे अजीब सी नजरों से देखता है।
मानो गुनहगार रेप करने वाला नहीं बल्कि वह लड़की है जिसका बलात्कार हुआ है। उस
लड़की के घर वालों को भी समाज बहिष्कार कर देता है। अब बताईये आखिर में गलती किसकी
है- बलात्कार करने वाले की या जिसका बलात्कार किया गया है उसकी या उस बलात्कार
पीड़ित लड़की की या उस समाज की। असली दुख तो तब होता है जब उस लड़की के गुनहगारों
को सजा नहीं होती और वह उस लड़की के सामने खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं। http://www.jkhealthworld.com/hindi/बलात्कार
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